विश्व सनातन धर्म का उद्देश्य-
प्रभु जी ने एक ब्राह्मण के घर में जन्म लिया है। जो संभल नगर में ‘विष्णुयशगान’ (भगवान विष्णु की महिमा) करते हैं। केवल भगवान ही विश्व सनातन धर्म का निर्माण करेंगे। भविष्य मलिका की वाणी आने वाले समय में पूरी दुनिया में फैलेगी और कल्कि के सभी भक्त एकत्रित होंगे।
सुधर्मा सभा चारों युगों में हुई और इस युग में भी होगी। जब कलियुग समाप्त हो जाएगा और धर्म स्थापना का कार्य पूरा हो जाएगा, तब विश्व सनातन सभा होगी। अन्य सभी व्यक्तिगत संप्रदाय और धर्म सनातन धर्म में विलीन हो जाएंगे। विश्व सनातन संघ जो ओडिशा में होगा, दुनिया भर में मुख्य केंद्र होगा। धर्म की स्थापना के बाद पूरे विश्व में एक ही धर्म होगा- सनातन धर्म।
जो भक्त लगन से भक्ति करते रहेंगे और शुद्ध आत्मा होंगे, उन भक्तों को सुधर्मा सभा में आने का सौभाग्य प्राप्त होगा। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन अमीर है और कौन गरीब। कोई भी सच्चा भक्त भाग ले सकता है। इस बार भगवान कल्किराम की शरण में जाने के लिए किसी वैदिक ज्ञान की आवश्यकता नहीं है। भक्ति का सहारा लेकर ही हम भगवान माधव की शरण में आ सकते हैं। जो चारों युगों में सच्चे भक्त थे, वे ही इस युग में भगवान को पहचान पाएंगे।
विश्व सनातन धर्म सभा की स्थापना हो चुकी है और जो भक्त धर्म के मार्ग पर चलेंगे और ईश्वर के प्रति गहरी भक्ति रखेंगे, उन्हें इसका हिस्सा बनने का सौभाग्य प्राप्त होगा। मृत्यु एक ऐसा सत्य है जिसे नकारा नहीं जा सकता लेकिन मृत्यु से पहले मनुष्य का लक्ष्य श्री हरि के चरण कमलों को प्राप्त कर वैकुंठ धाम को प्राप्त करना होना चाहिए।