महापुरुष श्री अच्युतानंद दास जी द्वारा रचित मालिका में तृतीय विश्वयुद्ध और उसके विनाशकारी परिणामों से जुड़ी कुछ दुर्लभ पंक्तियाँ –
“परमाणु जे बोमा जारा लागी बिदेसिब गारिमा,
देखाई भुवन्ति आज पाश्चात्य सेना,
ताहाँ फुटिबे नाही केणे जेबे मिलाई,
एहा देखी बिदेसीए जिबे पलाई।”
अर्थात् – तृतीय विश्व युद्ध के समय भारत के शत्रु देशों द्वारा भारत पर परमाणु हथियारों का प्रयोग होगा। तब चक्रधर भगवान कल्कि द्वारा केवल इच्छा कर लेने मात्र से शत्रु देशों द्वारा प्रयोग किये गए सभी परमाणु बम व हथियार निष्क्रिय हो जाएंगे। तब सभी शत्रु देशों, यूरोपियन देश और चीन तथा पाकिस्तान के सैनिक भयभीत होकर अपने देश लौट जाएंगे तथा अपने छुपने के लिये स्थान तलाशेंगे और अपनी सुरक्षा करने के लिये विचलित हो जाएंगे। उस समय भारत की पवित्र भूमि पर जगतपति भगवान कल्कि का पूर्णरूप से प्रकाश हो जाएगा। उस समय महाप्रभु पवित्र भारत भूमि की रक्षा करेंगे तथा धर्म संस्थापना करने के लिए तेजी से आगे बढ़ेंगे तथा साथ ही साथ म्लेक्षों का संहार (विनाशलीला) भी अपने चरम शिखर पर होगा।
एक बार पुनः महापुरुष अच्युतानंद जी मालिका में लिखते हैं…
“सेसे यूरोप देशे जुद्ध होइबो धंस बाँची रहिबे केवल भकत अंस।”
अंत में विश्वयुद्ध का परिणाम क्या होगा ?
अर्थात् – युद्ध के अंत में योरोपीय देशों का विध्वंस हो जाएगा। जो भक्त होंगे, वो आनंद पूर्वक रहेंगे। उन्हें युद्ध के कारण कोई क्षति नही होगी।
युद्ध के अंत में पाकिस्तान और चीन की स्थिति के विषय में महापुरुष लिखते हैं…
“पकिस्तानर दशा जा हेब सोहसा मन कर्ण देइ थरे सुण जे भासा।”
अर्थात् – पाकिस्तान की स्थिति बड़ी ही विभत्स (भयानक ) होगी। पाकिस्तान में भारत के सभी विरोधियों की सत्ता समाप्त हो जाऐगी। चीन की भी परिस्थिति बड़ी भयानक होगी। वहाँ युद्ध के साथ-साथ पंचभूतों का तांडव होगा और भगवान कल्कि के प्रहार से भयंकर तबाही होगी।
भक्तों को किसी भी प्रकार के युद्ध व पंचभूतों के प्रलय से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। विश्व के किसी भी देश में जहां भी भक्त होंगे उनको जन-धन की कोई क्षति नही होगी। वो पूर्ण सुरक्षा से सुरक्षित होंगे |
पूरे विश्व की जनसंख्या 800 करोड़ से घट कर केवल 64 करोड़ ही रह जायेगी। युद्ध के अंत में सम्पूर्ण विश्व में सत्य सनातन धर्म की पुनः प्रतिष्ठा होगी। भगवान कल्कि के नेतृत्व में भारत विश्व विजेता बनेगा। सर्वत्र सत्य, शांति, दया और क्षमा प्रेम की प्रतिष्ठा होगी। सम्पूर्ण विश्व में भगवान कल्कि का शासन होगा और लोग भगवान कल्कि के पञ्चरंगी (श्वेत ,लोहित ,हरित, पीत, नील वर्ण ) ध्वज तले आनंद पूर्वक निर्भय होकर रहेंगे। महाप्रभु जी की पंचरंग पताका में ये सारे रंग होंगे ( सफेद ,लाल ,पीला, हरा और नीला)। 2030 तक यह समस्त कार्य पृथ्वी पर सम्पन्न हो जायेंगे।
“जय जगन्नाथ”