मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियां व तथ्य- “थोके कहुथिबे जनम हेलेणी, दर्शन करिछी मुंही | थोके कहुथिबे जनम हेबे प्रभु, ठारगार बुझ तुही || बुद्धि विवेक कु प्रभु हरी नेबे | बणा हेबे सुज्ञ जन | आपणा हस्त रे स्कन्द छिडाइबे , मिलिबे देवी भवन ||” भावार्थ – भगवान के भक्त बार बार संसार के लोगो को चेताएंगे और कहेंगे की प्रभु का जन्म हो चूका है | वो ये भी बताएँगे की उन्होंने अपने चर्मचक्षुओ से प्रभु के दर्शन प्राप्त किए और प्रभु का पता भी बताएँगे | लेकिन प्रभु लोगो की बुद्धि और विवेक हर लेंगे और ज्ञानी…
Author: Satyanarayan Srivastava
महापुरुष श्री अच्युतानंद दास जी के द्वारा लिखी मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियां व तथ्य- “अनुभवे ज्ञान प्रकाश होइबो अनुभव करमूढ़, भबिस्य बिचार तेणी की कहिबी ज्ञाने नाही थलकुल, लीला प्रकाश हेबह भक्तंक लीला भारी होइब लीला प्रकाश हेबो।” अर्थात – कलियुग के अंत में केवल अनुभव के द्वारा ही ज्ञान का प्रकाश होगा। जब भक्तों के द्वारा श्रीभगवान को ढूंढने पर भी भक्तों को उनकी प्राप्ति नही होगी तब केवल अनुभव और निश्छल भक्ति ही भगवान प्राप्ति का एकमात्र सरल मार्ग होगा। श्रद्धा, विश्वास, अनुभव, और निश्छल भक्ति के द्वारा भक्तजन भगवान को प्राप्त करेंगे और उनका सान्निध्य पायेंगे।…
भगवान व्यास और महापुरुष श्री अच्युतानंद दास जी के द्वारा लिखी महाभारत और मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियां व तथ्य- भगवान व्यास जी के द्वारा महाभारत के वनपर्व में भगवान कल्कि के जन्म स्थान संभल नगर के विषय में संशोधन कर इस प्रकार लिखा गया था.. “कल्कि विष्णु यशा नाम द्विज काल प्रचोदित, उत्पत्तेसो महा बीरजो महा बुद्धि पराक्रम।” अर्थात – भगवान कल्कि का जन्म विष्णु (विष्णु यश) यशगान करने वाले (द्विज) ब्राह्मण के घर पर होगा। भगवान कल्कि का जन्म अति पवित्र विष्णु अंश वीर्य से होगा, एवं वो महाबुद्धि और महापराक्रम के साथ जन्म लेंगे। इसपर महापुरुष…
महापुरुष अच्युतानंद दास जी के द्वारा मालिका में लिखी श्रीकृष्ण अर्जुन संवाद की कुछ दुर्लभ पंक्तियां व तथ्य- जब अर्जुन जगतपति भगवान श्रीकृष्ण से जाजनग्र के विषय में प्रश्न करते हैं, तब भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उसके प्रश्नों का उत्तर देते हैं… “पार्थ बाणी सुणि प्रभु चक्रपाणि बोलन्ति सुणो है बिर जाजनग्र कथा कहिबा गोगले नसरी हेबो पार।“ अर्थात – देखो पार्थ जाजनग्र के विषय में जितना भी कहा जाए वो कम है, जाजनग्र की महिमा का बखान कर पाना संभव नही है, हाँ इतना अवश्य जान लो कलियुग के अंत समय में जब मैं कल्कि अवतार लूँगा तब…
महापुरुष श्री अच्युतानंद दास व महापुरुष श्री जगन्नाथ दास जी के द्वारा लिखी मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियाँ- भविष्य मालिका के “श्रीकृष्ण गरुड़ संवाद” में श्रीभगवान की वाणी पुरी की पावन भूमि (श्रीक्षेत्र) से भक्तों के लिये ऐसे संकेत आयेंगे जिससे पवित्र भक्तों को यह विश्वास हो जायेगा की कलियुग में मैंने मानव तन में अवतार ले लिया है। गरुड़ फिर प्रभु से पूछते हैं कि हे जगतपते कृपा करके बताइये कि और क्या ये संकेत मैं देख पाऊंगा जिससे मुझे यह विश्वास हो जायेगा कि आपने (श्रीभगवान) मनुष्य शरीर धारण कर लिया है ? भगवान कहते हैं- ”समुद्र रूबातासोजे…
कलियुग के अंत के क्या क्या संकेत होंगें बाउंश गछ रे धान आरंभिबे, गव गछ रे नडिआ। आउ न बर्षिब से इंद्र राजन, कृषि होइब पडिआ।। कुकुर गाइबे यजुः वेद छंद, बग पढुथिबे गीता। एकाले जाणिबु बारंग सुंदर, कलि न्कर जिबा कथा।। – (ग्रन्थ: पट्टामडाण, शिशु अनंत दास) भावार्थ- शिशु अनंत जी से उनके शिष्य बारंग पूछते है कि कलियुग के अंत में क्या क्या लक्षण दिखाई देंगे। शिशु अनंत जी बोलते हैं कि- बांस के पेड़ से धान उगेंगे। गब गछ में नारियल उगेंगे। इंद्र बारिश नहीं करेंगे। कृषि नहीं होगा जमीन खाली पड़ेगा। कुत्तों के मुँह से…
घर की स्त्रियाँ पुरुषों की बात नहीं मानेंगी, वो बुरा व्यवहार करेंगी ‘भविष्य मालिका’ की कुछ महत्वपूर्ण पंक्तियाँ- “नारीए होइबे प्रबल। सती र धर्म हेब दुर ।। पुरुष बसिथिबे घरे । नारी बुलिबे बार द्वारे ।। गृहस्त कथा न सुणिबे । पुरुषे मुंड पोतिथिबे ।। करिबे आत्महत्या जन। न सहि नारी कु-बचन।।” छयालिश पटल…..(अच्युतानन्द दास)… पृष्ट- 185 भावार्थ- कलियुग में स्त्रियाँ बुरे कर्मों में लिप्त रहेंगी। अधर्म और अत्याचार करेंगी, जिसके कारण उनका सतीत्व नष्ट हो जाएगा। पुरुष तो घर में रहेंगे जबकि स्त्रियाँ घर के बाहर विचरण करेंगी और पुरुषों की बात नहीं मानेंगी। वो पुरुषों के साथ…
दिन के समय आकाश में तारे दिखाई देंगे ‘भविष्य मालिका’ की कुछ महत्वपूर्ण पंक्तियाँ- दीबसे उदित होइब तारा । प्रचंड होईब रबिर खरा।। पवन बहिब निर्घात करि । बसिला ठारे द्रव्य जीब सरी ।। एक बस्त्रक रे बंचिबे दिन । रजक घरे नदेबे बसन ।। माईं भाणजा माये पोये संग । भाई भऊणी रे बिनोद रंग ।। गुरूंकु शिष्य नमानी मिछुआ । कहिला कथा कहू कहूं माया ।। गुरुंकु भंडिबे नदेब धन । देखीले लूचिबे नथिब मान ।। …
{श्रीमद्भागवत माहात्म्य} [द्वितीय अध्याय] ऋषियों ने पूछा:- सूत जी! अब यह बतलाइये कि परीक्षित और वज्रनाभ को इस प्रकार आदेश देकर जब शाण्डिल्य मुनि अपने आश्रम को लौट गये, तब उन दोनों राजाओं ने कैसे-कैसे और कौन-कौन-सा काम किया? सूत जी कहने लगे :- तदनन्तर महाराज परीक्षित ने इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) से हजारों बड़े-बड़े सेठों को बुलवाकर मथुरा में रहने की जगह दी। इनके अतिरिक्त सम्राट् परीक्षित ने मथुरामण्डल के ब्राह्मणों तथा प्राचीन वानरों को, जो भगवान के बड़े ही प्रेमी थे, बुलवाया और उन्हें आदर के योग्य समझकर मथुरा नगरी में बसाया। इस प्रकार राजा परीक्षित की सहायता और महर्षि…
[श्रीमद्भागवत माहात्म्य] {प्रथम अध्याय} महर्षि व्यास कहते हैं- जिनका स्वरूप है सच्चिदानन्दघन, जो अपने सौन्दर्य और माधुर्यादि गुणों से सबका मन अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं और सदा-सर्वदा अनन्त सुख की वर्षा करते रहते हैं, जिनकी ही शक्ति से इस विश्व की उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय होते हैं-उन भगवान श्रीकृष्ण को हम भक्तिरस का अस्वादन करने के लिये नित्य-निरन्तर प्रणाम करते हैं। नैमिषारण्य क्षेत्र में श्रीसूत जी स्वस्थ चित्त से अपने आसन पर बैठे हुए थे। उस समय भगवान की अमृतमयी लीला कथा के रसिक, उसके रसास्वादन में अत्यन्त कुशल शौनकादि ऋषियों ने सूत जी को प्रणाम करके उनसे…