ब्रह्माण्ड तत्व के अनुसार संसार में क्रमशः चार युग का भोग होता है। उन चार युगों के नाम हैं- सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग। सतयुग में धर्म के चार पग होते हैं एवं उसकी आयु 17,68,000 वर्ष है। इस युग में धर्म के चार पग जो कहे गए हैं, वे हैं- सत्य, स्वच्छता, दया और क्षमा। धर्म के इन चार पगों के कारण, सतयुग में सभी मनुष्य आनंदित जीवन जीते थे एवं मानव समाज में सुख, शांति, समृद्धि, स्थायित्व परिलक्षित होता था। सतयुग के बाद त्रेता युग का आगमन होता है। इस युग की आयु 12,96,000 वर्ष है। इस युग में धर्म तीन पगों के साथ विराजमान होता है, वे हैं – सत्य, दया और क्षमा। इस युग में धर्म के एक पग का क्षय हो जाता है, जिसका नाम है स्वच्छता( भीतर और बाहर की पवित्रता )। त्रेता युग के बाद युग चक्र के अनुसार से द्वापर युग का आगमन होता है। इस युग की आयु 8,64,000 वर्ष है। इस युग में धर्म के मात्र दो पग ही रह जाते हैं, वें हैं -सत्य और क्षमा।
इन सब युगों के उपरांत, चौथा और अंतिम युग जो आता है वह कलियुग है। इस युग की आयु 4,32,000 वर्ष है। इस युग में धर्म के तीन पगों का नाश हो जाता है, एवं एक ही पग धर्म का शेष रह जाता है, और वह है – सत्य। कलियुग के अंत में एक पग जो धर्म का बचा था, वह भी क्षय हो जाता है। वैवस्वत मनु जी की मनुस्मृति में प्रमाणित है कि कलियुग के अंत समय में धर्म केवल दान के माध्यम से अपनी अंतिम अवस्था में टिका रहता है। लेकिन महापुरुष पंचसखा ने, भविष्य मालिका में कलियुग की आयु, और मनुस्मृति में लिखे गये समय और स्थिति के वर्णन में संशोधन करके, प्रभु जी की आज्ञा से, इस युग व्यवस्था का विस्तृत भाव से वर्णन किया है।
“धर्म चारिपाद निश्चय कटिब हरि आश्रा कर नर,
सुकर्म कुकर्म बिचारी पारिले पाद पद्मे स्थान पाई”
अर्थात् –
भविष्य मालिका में महापुरुष अच्युतानंद जी लिखते है कि कलियुग पूर्ण होने के समय, चार पग धर्म समाप्त हो जाने के साथ साथ, बड़ी बड़ी आपदाएं, अकाल पृथ्वी पर आयेंगे। महापुरुष उक्त समय को ‘संगम युग’ या ‘युग संध्या’ के नाम से विवेचना करते हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि हरि के नाम एवं गुणों का भजन करके, मालिका ग्रंथ का अनुसरण करके, वैदिक धारा में चलने वाले मनुष्य सतयुग में प्रवेश करेंगे।
“चतुर्जयाहु सहस्राणि बर्षाणां तत्क्रृतम् युगम्,
तस्य ताबछ्छती संध्या संध्यांशश्च तथाबिधः”
मनुस्मृति-
मनुस्मृति से उद्धृत (लिया) उपरोक्त श्लोक का भावार्थ है – चार हजार वर्ष के पश्चात सतयुग आता है। उस चार हजार वर्ष के परमायु तथा उसके संध्या और संध्या काल की कुल परमायु का एक दशमाँश वर्ष होता है।
कलियुग की आयु= 4000 साल
कलियुग आरंभ और द्वापर युग अंत में दो संध्या= 400X2= 800 वर्ष
कुल योग 4,800 वर्ष कलियुग का भोग समय बताया गया है।
निर्णय सिंधु-
“चतुर्जयाबद: सहश्राणि चत्त्वार्य्जाद शतानिचम्,
कलेर्ज्यदा गमिस्यंति तदापूर्वम् युगाश्रितम्।”
निर्णय सिंधु से लिए गए उपरोक्त श्लोक में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 4,000 सालों के बाद संध्या समय 400 वर्ष , फिर उसके बाद के युग प्रारंभ का संध्या समय के 400 वर्ष को मिला कर, कलियुग को कुल 4800 वर्ष भोग होगा।
गर्ग संहिता-
“अदाश्वत्वः सहश्राणि कलै चतुः शतानिचम्,
गते गिरि बरेहि श्री नाथ प्रादुर्भविष्यतिं।”
गर्ग संहिता से उद्धृत (लिए) इस श्लोक का भावार्थ है कि कलियुग के 4000 वर्ष भोग होने के बाद, इसके संध्या समय के 400 वर्ष बाद, भगवान महाविष्णु (श्रीनाथ) धरती पर अवतार लेंगे और पाप के भार का अंत करेंगे।
उपरोक्त शास्त्र मनुस्मृति, निर्णयसिंधु और गर्गसंहिता में कहे गये टिप्पणियों के अनुसार, कलियुग की आयु 4000 वर्ष है। इसका एक दशमाँश संध्या समय यानी कि 400 वर्ष है। कलियुग शुरुआत में संध्या समय 400 वर्ष भोग होगा। अर्थात् 4000+ (400+400) =4800 वर्ष मात्र कलियुग की संपूर्ण आयु भोग होगी ।
मनुस्मृति, निर्णयसिंधु और गर्गसंहिता के अनुसार कलियुग को 4,800 वर्ष भोग होना चाहिए। लेकिन इन सब शास्त्रों की रचना को हजारों वर्ष बीतने के बाद, इस कलियुग में, आज से लगभग 600 वर्ष पहले महापुरुष पंचसखाओं ने भविष्य मालिका ग्रंथ की रचना की और निराकार जी के निर्देश से पंचसखाओं ने अपने मालिका ग्रंथ में पौराणिक शास्त्रों के वर्णन में संशोधन करके, 4,800 वर्ष में 200 वर्ष जोड़कर, कलियुग की आयु को 5,000 वर्ष भोग होने का वर्णन किया।
भक्त चेतावनी- अच्युतानंद-
“चारि लक्ष जे बतिश सहस्त्र, कलि युग र अटइ आयुष
पाप भारा रे आयु कटिजिब, पांच सस्र कलि भोग होइब।।”
महापुरुष अच्युतानंद जी निराकार जी के आज्ञा से अपने ग्रंथ ‘भक्त चेतावनी‘ में प्रमाण देतें हैं कि, कलियुग का संपूर्ण भोगा समय 4,32,000 वर्ष है। परंतु पाप के भार से युग का क्षय हो कर मात्र 5,000 वर्ष भोग होगा।
भबिष्यत चउतिसा, अच्युतानंद-
“ठिकणा अमर पुर,
ठाकुर तहीं रु हेबे बाहार, रामचन्द्र रे,
ठारि पंच सहस्र तुधर, रामचन्द्र रे”
महापुरुष अच्युतानंद अपने ग्रंथ ‘भविष्यत चउतिसा‘ में भी प्रमाण देते हैं कि, कलियुग को मात्र 5,000 वर्ष भोग होगा। उपरोक्त पंक्तियों में अच्युतानंद जी ने स्पष्ट रूप से कहा कि नीलांचल धाम आदि वैकुण्ठ धाम श्रीजगन्नाथ धाम पुरी से ही भगवान श्री जगन्नाथ जी मनुष्य रूप में कल्कि अवतार धारण करेंगे और उसी समय कलियुग को 5,000 वर्ष भोग हुआ होगा। अर्थात 5,000 वर्ष में जब कलियुग समाप्त होगा तब महाप्रभु जगन्नाथ जी मनुष्य रूप से धरती पर अवतार लेंगे।
भविष्यत मालिका, अच्युतानंद-
“ठिकणा अच्युत कले,
‘ठ’ तिनी बामे पांच रखिले रामचन्द्र रे ।
ठकि जिब मिन शनी भले रामचन्द्र रे ।।”
पुनः महापुरुष अच्युतानंद जी अपने ग्रंथ ‘भविष्यत मालिका‘ में कहते हैं कि ‘ठ’ (उड़िया भाषा में ‘0’) तीन बार लिख कर उसके बाएं तरफ पांच (5) लिखने से जितना होगा अर्थ कलियुग के 5,000 वर्ष भोग होने के बाद जब मीन राशि में शनि प्रवेश करेंगे (सन् 2025 को समझाया गया है) उस समय मनुष्य समाज को भयानक विपदाओं का सामना करना पड़ेगा और उसी समय ही भक्त वृंद मालिका ग्रंथ का अनुशरण करेंगे और उसको समझ पायेंगे।
महागुप्त पद्मकल्प- शिशु अनंत दास-
“एबे पांच ठिक कहिबा शुण, बारंग बिचारे चित्त रे घेन।
पांच सहस्र जेतेबेले हेब, संपूर्ण लीला प्रकाश होइब”
पंच सखाओं में अन्यतम सखा महापुरुष श्री शिशु अनंत दास जी महाराज ने अपनी ग्रंथ महागुप्त पद्मकल्प में कलियुग के बारे में कहा कि कलियुग 5,000 वर्ष में संपूर्ण होगा और तब भक्त और भगवान के लीला का प्रकाश होगा।
आगत भविष्यत- शिशु अनंत
“बारंग बोलइ शुणिमा गोसाईं कुह भविष्य बिचार,
केतेबेले कल्कि स्वरूप होइबे शुणईं मुखु तुंम्भर।
शिशु हलंति हे शुणिमा बारंग कलंकी स्वरूप हेबे ,
युग संधि पांच सहस्र बरष जेबे जिब भोग होइ।
जेसनेक निशि पाहिले प्रभात युग संधि एहा जाण ,
सेमंत समये कलंकी स्वरूप हेबे प्रभु नारायण।
समक्षरा बता शुणि आदिकरि प्रमाण एहाकु कर,
सबु एक ठाबे मिशाइ कहिण करिबु पांच हजार।
एहि समय कु लये करिथिबु कहिलि हे बाबु तोते,
ठिकरे ए कथा देखाइ कहिलु रखिथिबु हृद गते”
पुनः महापुरुष श्री शिशु अनंत जी महाराज, अपने ग्रंथ ‘आगत भविष्यत’ में अपने शिष्य बारंग के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहतें है कि, कलियुग के संध्या समय में अर्थात संगम युग में, भगवान नारायण कल्कि अवतार धारण करेंगे, और उसी समय कलियुग को 5,000 वर्ष बीत चुके होंगे
कलि चउतिसा- हाडि दास
“संबश्चर पांच सहस्र कलि होइब शेष,
सत्य युग आद्य होइब शुभ जोगे प्रकाश।
साधु संत माने बसिबे सभा आरंभ करि,
सेहि समस्त न्कु पुजिबे पटुआर आबोरि।
हरि शबद रे मातिबे हरि भकत माने,
हरष होइबे हृद रे दुःखी दरिद्र माने।
फिटिब प्रजा न्क कषण दुः होइब नाश,
क्षमे हाडि दास भणिले आगत जे भविष्य।”
पंचसखाओं के देहावसान के बाद उड़ीसा के छतिया बट के महंत तथा दिव्यदृष्टा महापुरुष हाडिदास जी महाराज, जिसे कि महापुरुष अच्युतानंद जी के नौवें जन्म के रूप मे जाना जाता है उनके द्वारा मालिका शास्त्र में प्रमाण दिया गया है, वे भी अपनी दिव्य दृष्टि से अपने ग्रंथ ‘कलि चउतिसा’ में भक्तों के कल्याण हेतु तथा मानव समाज को चेतावनी देते हुए, लिखते हैं कि 5,000 वर्ष में कलियुग समाप्त होगा और उसके बाद संध्या युग यानी कि आदि सतयुग का प्रकाश होगा। उसी समय में भगवान कल्किराम धरती पर मानव रूप में अवतार लेकर पापों को समाप्त करके समाज का उद्धार करेंगे एवं सम्पूर्ण विश्व में पुनः सत्य, शांति, दया, क्षमा, मैत्री एवं धर्म की स्थापना करेंगे। उस समय भगवान कल्कि, विश्व मे सनातन धर्म की प्रतिष्ठा करेंगे| सम्पूर्ण विश्व में वैदिक आर्य सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करेंगे। साधु संत एवं भक्त ग्राम नगर देश और समग्र विश्व में सनातन धर्म का प्रचार करेंगे। साधु संतों सज्जनों का कष्ट दूर होगा एवं दुष्टों का विनाश हो जायेगा। भक्तों के लिए शुभ और आनंद के दिन आएंगे। सम्पूर्ण विश्व में सत्य का वातावरण परिलक्षित होगा।
उद्धव भक्ति प्रदायिनी- अच्युतानंद
“निश्च्य अवतार अबनी ऊपर निलांबर पुरे बास,
निश्चे पांच सस्र भोग र अंतेण होइथिबु जे नरेश”
महापुरुष अच्युतानंद जी के ‘उद्धव भक्ति प्रदायिनी’ ग्रंथ में श्री कृष्ण और उद्धव के बीच कथोपकथन होता है और उसमें उद्धव जी के प्रश्न का उत्तर देते हुए, भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि, कलयुग के पांच हजार वर्ष भोग होने के बाद महाप्रभु अपना नीलांचल धाम त्याग करके कल्कि अवतार के रूप में मानव शरीर धारण करेंगे।
भविष्यत मालिका- अच्युतानंद
“चहटिब लीला तु चारि रे मिशा एक,
चढा तिनि शुन्य तहिं जेते हेला ठीक।
चलिजिब घोर कलि दलिदेबे मिलि,
चेताइण गीते कहे अच्युत जे भालि।
क़िती मध्यी जेते भक्त जन्म होई छानती,
टली जिब तहनकर मनु भय भ्रांति।
छामूरे मिलिबे जाई उदबेग होई।
छ छंदे भनिले जे अच्युते एट्ठाई ।।”
पुनः महापुरुष अच्युतानंद जी अपने ग्रंथ ‘भविष्यत मालिका‘ में कहते हैं कि, कलयुग के पांच हजार वर्ष भोग होने पर भगवान कल्कि अवतार लेंगे और लीला करेंगे।
पट्टा मडाण- शिशु अनंत
“कलियुग पांच सहस्र गले,
बिष्णु जे जनम होइबे भले।
पांच सहस्र रे नर शरीरे,
बिष्णु जे राजुति करिबे भले”
महापुरुष शिशु अनंत जी महाराज अपने मालिका ग्रंथ ‘पट्टा मडाण‘ में समान प्रमाण देते हैं कि पांच हजार वर्ष में कलियुग समाप्त होने पर भगवान विष्णु चौंसठ कलाओं से युक्त होकर धरती पर मानव रूप धारण करके कल्कि अवतार में आएंगे और विश्व में राज करेंगे।
आदि संहिता- अच्युतानंद
“ए जे सुबाहु जुग कलि,
क्षिण आयुष महाबली।
पापे सकल नाश जिबे ,
पंच सहस्र भोग हेब।”
महापुरुष अच्युतानंद जी ने अपने ग्रंथ ‘आदि संहिता‘ में लिखा है कि कलयुग की आयु 4,32,000 वर्ष है। लेकिन मनुष्य कृत पाप कर्मों की कारण से कलियुग की संपूर्ण आयु क्षीण हो जाएगी, एवं पांच हजार वर्ष ही भोग होगा। महापुरुष अच्युतानंद जी और सभी महापुरुषों के मालिका ग्रंथों से यही प्रमाणित होता है कि कलयुग की कुल परमायु 4,32,000 वर्ष है। लेकिन मनुष्य कृत घोर पाप कर्मों के कारण से युग क्षय हो जाने के कारण मात्र पांच हजार वर्ष का भोग होगा। उस समय संगम युग में भगवान कल्कि अवतार धारण करके धर्म संस्थापना का कार्य करेंगे।
“जय जगन्नाथ”