मालिका की कुछ दुर्लभ पंक्तियां व तथ्य-
“थोके कहुथिबे जनम हेलेणी, दर्शन करिछी मुंही |
थोके कहुथिबे जनम हेबे प्रभु, ठारगार बुझ तुही ||
बुद्धि विवेक कु प्रभु हरी नेबे | बणा हेबे सुज्ञ जन |
आपणा हस्त रे स्कन्द छिडाइबे , मिलिबे देवी भवन ||”
भावार्थ –
भगवान के भक्त बार बार संसार के लोगो को चेताएंगे और कहेंगे की प्रभु का जन्म हो चूका है | वो ये भी बताएँगे की उन्होंने अपने चर्मचक्षुओ से प्रभु के दर्शन प्राप्त किए और प्रभु का पता भी बताएँगे | लेकिन प्रभु लोगो की बुद्धि और विवेक हर लेंगे और ज्ञानी लोग भी ये बात नहीं मान के तरह-तरह के तर्क-वितर्क करके भक्तो का उपहास करेंगे | इस तरह वो अपने ही हाथो से खुद को कुल्हाड़ी मारेंगे और अंत में देवी माता के खप्पर में पड़ेंगे |
जय जगन्नाथ