कलियुग का अंत हो चुका है और इस तथ्य को प्रमाणित करने के लिए महापुरुष पंचसखाओं ने भविष्य मालिका ग्रंथों में स्पष्ट रूप से बहुत से लक्षणों को वर्णित किया है :-
(क) मनुष्य सभ्यता में आने वाले परिवर्तन:-
- मानव समाज में कहीं कहीं स्त्री और पुरुषों में बंध्या दोष दिखाई देंगे जिसके कारण संतानों का जन्म नहीं हो पायेगा ।
- समाज मे कहीं कहीं स्त्री और पुरुष अपना लिंग परिवर्तन करवायेंगे ।
- समाज मे कहीं-कहीं काम वासना, स्वार्थ और धन के लालच मे आकर संताने अपने माता-पिता की हत्या करेंगी ।
- समाज से संयुक्त परिवार की परंपरा विलुप्त हो जायेगी, भाई-भाई के अतिरिक्त कहीं कहीं तो पति-पत्नी भी अलग-अलग घर में रहेंगे।
- कहीं कहीं कुछ संताने अपने माता पिता को घर से बाहर निकाल देंगे, जहाँ उन्हें वृद्धाश्रम में आश्रय लेना पड़ेगा ।
- अधिकांश मनुष्य हर समय अल्प व्याधि से भी पीड़ित होकर केवल औषधि पर आश्रित रहकर जीवन बिताएंगे ।
- समाज में माँसाहारी, शराबियों, तंबाकू सेवन करने वालों और नशा करने वालों की संख्या बहुत अधिक बढ़ जाएगी
- संसार में गर्भपात और भ्रूण हत्या जैसे पाप बहुत संख्या में बढ़ जाएंगे।
- संसार में दूसरी पत्नी (विवाहेतर संबंधों) की संख्या बहुत बढ़ जाएगी।
- पति-पत्नी के बीच में पवित्रता नहीं रहेगी।
- मानव समाज देवी देवताओं की पूजा नहीं करेगा।
- पुत्र अपने मृत माता-पिता का पिंडदान नहीं करेंगे।
- कहीं कहीं माता-पिता के अंतेष्टि में पुत्र योगदान नहीं करेंगे।
- विधवा स्त्रियाँ भी अंतिम संस्कार करेंगी और पिंडदान देंगी।
- पुरुष-पुरुष आपस में विवाह करने लगेंगे ।
- स्त्री -स्त्री आपस में विवाह करने लगेंगी ।
- भाई बहन भी आपस में विवाह करने लगेंगे ।
- पिता अपनी बेटी के साथ कहीं कहीं पर गलत संबंध रखेंगे।
- पुरुष म्लेच्छ वेश धारण करेंगे और स्त्रियाँ अत्यंत कामुक होकर मलेक्षिण रूप धारण करेंगी।
- कुछेक पुरुष भी संतानों को जन्म देंगे।
- पुरुष सिर के ऊपरी हिस्से में बाल रखकर बाकी कान के ऊपर के हिस्से से बाल काट देंगे।
- मामी और भांजे के बीच विवाह होगा।
- चाची और भतीजे के बीच विवाह होगा।
- सास और जमाई के बीच अनैतिक संबंध बनेंगे ।
- मामा अपनी भांजी के साथ ही विवाह करने लगेंगे
- सभी लोग पश्चिमी सभ्यता को अपनाएंगे और उसी के अनुसार वेशभूषा धारण करेंगे।
- विवाहित स्त्रियां अपने माथे पर सिन्दूर और हाथ में चूड़ी नहीं पहनेंगी।
- कलियुग में कोई भी मनुष्य शत प्रतिशत आयु को भोग नहीं कर पायेगा ।
- गीता, भागवत, शास्त्र और पुराणों को छोड़ कर मानव समाज काम शास्त्र का अध्ययन करेगा।
- लोग माता तुलसी जी की पूजा करना बंद कर देंगे।
- लोग ग्राम देवी/ कुलदेवी की पूजा करना बंद कर देंगे।
- समाज में मिथ्यावादियों की संख्या बहुत बढ़ जाएगी।
- पापी, भ्रष्टाचारी और अज्ञानी लोगों को समाज में बड़ा सम्मान मिलेगा।
- विवाह में कोई ऊंच-नीच, जाति-पाति, धर्म और वर्ण नहीं रहेगा।
- कम उम्र के पुरुष अपने से बड़ी उम्र की स्त्री से विवाह करेंगे।
- ज्ञानी और सज्जन लोग भी गायत्री मंत्र साधना को छोड़ कर जादू टोना आदि विद्या साधने लगेंगे ।
- रक्षक ही भक्षक बनेंगे (बाज अनाज खाएगा)
- संसार से वेद मार्ग का उच्छेद (विलोप) होगा।
- स्त्रियाँ अपने केश खुले रख कर घूमेंगी। नवयुवतियाँ अर्धनग्न अवस्था में रहेंगी एवं अंग प्रदर्शन करने लगेंगी |
- कुछ स्त्रियाँ अपना शरीर बेचकर अपना भरण–पोषण करेंगी ।
- कलियुग के अंतिम समय में राजा शासन नहीं करेंगे।
- मनुष्य एकादशी का व्रत तो करेंगे किन्तु माँसाहार भी करेंगे।
- कुछ लोग निर्माल्य (जगन्नाथ जी के महाप्रसाद) के साथ शराब और माँस खाने लगेंगे।
- असमय में लोग आहार, विहार और शयन करेंगे ।
- असमय में या दिन में पति – पत्नी के द्वारा रतिक्रिया करने की कारण संतानें गर्भ में ही नष्ट हो जाएंगी ।
- समाज में गुप्तरूप से भी कुछ अविवाहित लोग गर्भपात करवाएंगे ।
- समाज के कुछ पुरुष परायी स्त्री का हरण करेंगे और उनके साथ रमण करेंगे।
- संसार के समस्त परिवारों में अशांति का वातावरण परिलक्षित होगा।
(ख)-प्रकृति और पंचभूत में आने वाले परिवर्तन:-
- मध्य रात्रि में कोयल गीत गाएगी।
- असमय में आम के पेड़ में फल- फूल आने लगेंगे।
- असमय में नीम के पेड़ में फूल और फल उगने लगेंगे।
- अलग अलग वृक्षों में व्यतिक्रम से (जो होना चाहिए उससे) अलग फल और फूल आने लगेंगे जैसे (तुलसी के पौधे में गुड़हल के फूल का खिलना अथवा एक ही पौधे के जड़ में आलू और तने में टमाटर के फल लगना)
- बांस के पेड़ में धान उगेंगे।
- खेतों में ही अनाज में कीड़े लग जाएंगे।
- कहीं अधिक तो कहीं कम वर्षा होगी जिससे फसलों भी में कमी आएगी।
- अनेक स्थानों पर दुर्भिक्ष और अकाल पड़ेगा।
- वज्रपात होने से मनुष्य और जीव जन्तु की मृत्यु हो जायेगी ।
- गौ माता की भी अकाल मृत्यु होगी।
- मनुष्य और जीव जन्तुओं में अनजानी बीमारियां फैलने लगेंगी।
- पृथ्वी पर 64 प्रकार की महामारियाँ फैलेंगी।
- ऋतुओं का असमय परिवर्तन होगा और केवल 13 दिनों में 6 ऋतुओं का भोग होगा।
- नदियों में असमय बाढ़ आएगी।
- सूर्य की रश्मि 10 गुना ज्यादा तेज होगी।
- असमय (दोपहर) में कोहरा छाया रहेगा।
- बार-बार तूफ़ान आयेंगे और तूफ़ान के बल पर समुद्र बार-बार किनारे की सीमा का उल्लंघन करेगा ।
- मरुभूमि में बाढ़ आएगी।
- भारी वर्षा से पर्वतों के शिखर पर भी बाढ़ आ जाएगी और इससे मनुष्य और जीव-जन्तुओं की मृत्यु हो जाएगी।
- जलचर और सामुद्रिक प्राणी भी बहुत मरेंगे।
- बहुत से वन मे रहने वाले हिंसक पशु ग्राम और नगरों में आ कर मनुष्यों को हानि पहुंचाएंगे।
- सूर्य की प्रचण्ड गर्मी से उत्तर और दक्षिण मेरु पर्वत की बर्फ पिघलने लगेगी।
- बड़े जंगलों में लगी आग से करोड़ों वन्य प्राणी मरेंगे।
- पृथ्वी के कोने-कोने में हर महीने हर दिन भूकंप-कंपन आने लगेंगे|
- दिन में सियार कराहेंगे।
- मुर्गे के मुकुट का रंग लाल से सफेद हो जाएगा।
- वैशाख के महीने में भी कमल खिलेंगे।
- चारों दिशाओं में धुआं (धुम्र वर्ण) सा दिखने लगेगा।
- पृथ्वी के समतल और पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फट कर वर्षा होगी।
- हर महीने पृथ्वी के किसी न किसी जगह पर आंधी, तूफान, चक्रवाती तूफान, धुलझड आदि आएंगे।
- पृथ्वी पर बहुत से नए और सुसुप्त ज्वालामुखी भी जागृत होने लगेंगे।
(ग) ग्रह और नक्षत्रों में आने वाले परिवर्तन :-
- चंद्रमा की किरणें धुंधली दिखाई देंगी।
- सूरज की किरणें बहुत तेज होंगी।
- बार-बार पक्ष घट कर कर 13 दिन वाला पक्ष होगा।
- बार-बार आकाश से उल्का पिंड गिरेगा ।
- बहुत बार, एक ही दिन में अमावस्या और संक्रांति अभिसरित (घटित) होंगे।
- बहुत बार, एक ही दिन में पूर्णीमा और संक्रांति अभिसरित (घटित) होंगे।
- एक पक्ष के अंतर में ही अमावस्या पर सूर्य ग्रहण और पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण दिखाई देंगे।
- असमय में सूर्य के चारों तरफ वलय परिलक्षित होगा और और असमय में चंद्रमा के भी चारों तरफ वलय परिलक्षित होगा।
- बारम्बार ग्रह और नक्षत्रों में अस्वाभाविक परिवर्तन दिखाई देंगे।
- सूर्य की रश्मि 10 गुना ज्यादा तेज हो जायेगी।
- ग्रहों की गति में बार बार परिवर्तन दिखाई देंगे।
- ग्रह और नक्षत्र स्थिति के अनुरूप नहीं रहेंगे।
- सात दिन और सात रात तक सूर्य और चंद्रमा नहीं दिखाई देंगे और अंधेरा होगा।
- परिवर्तित समय में भगवान कल्कि के द्वारा नवीन सूर्य,चंद्रमा और नये नक्षत्रों की स्थापना होगी।
(घ) आध्यात्मिक परिवर्तन :-
- बहुत से मंदिरों के ऊपर वज्रपात होंगे।
- कहीं कहीं मंदिर के ऊपर वज्रपात होने से मंदिर के ध्वज जल जायेंगे एवं फट जायेंगे।
- अधिकांश मंदिरों में चोरी और लूट भी होगी यहाँ तक कि मंदिरों से देवी देवताओं की मूर्तियाँ भी चोरी हो जायेंगी।
- मंदिर के अंदर भी लोग दुष्कर्म करेंगे।
- माँसाहार और सुरापान करके पुजारी मंदिरों में पूजा करने लगेंगे।
- अधिकांश मनुष्य समाज भी माँसाहार और सुरापान करके मंदिर में प्रवेश करेंगे।
- विभिन्न मंदिरों और आध्यात्मिक स्थानों पर भी आध्यात्मिक वातावरण नहीं रहेगा।
- देवी देवताओं के रहते हुए भी मंदिरों की सुरक्षा और देखरेख नहीं होगी।
- सभी स्थानों पर देवी देवताओं की पूजा नहीं की जाएगी।
- इन सब पाप कर्मों के कारण से देवी देवता मंदिर एवं पूजास्थल छोड़कर चले जायेंगे।
(ङ) गुरु, शिष्य और साधु ,संत लोगों की रूपरेखा :-
- अपनी जीविका चलाने के लिए बहुत से लोग गुरु परंपरा की शुरूआत करेंगे।
- गुरुओं को शास्त्र एवं पुराणों तथा धर्म का भी ज्ञान नहीं होगा।
- तंत्र साधना एवं जादू –टोना करके कुछ लोग अपने आपको गुरु कहलवाएंगे।
- जो लोग भूत प्रेत पिशाच पीड़ा का निवारण करने वाले होंगे (ओझा का कार्य करने वाले) वे लोग समाज में बड़े सिद्ध साधक कहलाएंगे।
- गुरु परंपरा में भी माँसाहार और सुरापान को प्रश्रय दिया जाएगा।
- उच्च वर्ण कहलाने वाले लोग हाथ में जाल और कांटा लेकर मछली पकड़ने लगेंगे और क़साई के कार्य करेंगे।
- ब्रह्मचारी लोग ब्रह्मचर्य का पालन नहीं करेंगे।
- पिता माता के द्वारा दिए गए नाम को बदल कर नाम के आगे संत, श्री श्री, स्वामीजी, दास, महाराजजी आदि उपाधियां जोड़ कर अपने आपको ठाकुर /महापुरुष कहलवाएंगे।
- भगवा और गेरुआ वस्त्र धारण करके अपने आपको गुरु कहलवाएंगे।
- जंगल काट कर वन्य भूमि का अधिग्रहण करके और बिल की पूजा करके उसको भगवान का स्वप्नादेश बताकर कर अपनी झूठी महिमा का प्रचार करेंगे।
- गुरु कहलाने वाले लोग अपनी शिष्याओं के साथ विवाह करके उनको अपनी अष्ट पटरानी कहेंगे।
- कलियुग के अंत में छद्म वेषधारी गुरु अपने आपको भगवान का अवतार बता कर स्वयं की पूजा करवाएंगे
- नकली शंख चक्र दिखाकर अपने आपको भगवान कल्कि बोल कर लोगों को लूटेंगे |
- गुरु कहलाएंगे किन्तु लालच देकर शिष्य की पत्नी का गमन करेंगे।
- अपने आपको गोपाल और शिष्या को गोपी कहकर अपनी काम वासना की पूर्ति करेंगे।
- गुरु अपने आपको भगवान नारायण बता कर शिष्य, शिष्या को मोक्ष और सुख समृद्धि मनोकामना पूर्ति का लालच देकर अपनी सेवा करवाएंगे ।
- अपने सिर पर जटा बांध कर अपने आपको संत कहलवाएंगे और लोगों को लूटते रहेंगे।
- अनपढ़, गंवार तथा आलसी लोग अपने आपको भगवान का दास कहलाएंगे और कंधे पर जनेऊ धारण करके लोगों को ठगने लगेंगे।
- गुरु लोग अधिकांशतः धनवानों को ही शिष्य बनाएंगे ।
- शिष्य शिष्या की संपत्ति से गुरु कहलाने वाले लोग ऐशो आराम करेंगे।
- शिष्य शिष्या से धन दौलत सोना चांदी आदि धातुओं की दक्षिणा लेकर वैकुण्ठ में स्थान देने का झूठा नाटक करेंगे।
- सुंदर स्त्रियों को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन देकर शिष्या बना कर अपनी काम वासना को पूर्ण करेंगे।
युग के अंत में संसार में बहुत से परिवर्तन होंगे और व्यतिक्रम भी (उलंघन) दिखने लगेंगे। भविष्य मालिका में महापुरुष पंचसखाओं ने कहा है कि कलियुग के समाप्त होने पर ये सभी लक्षण दिखाई देंगे। आज मालिक मे वर्णित कलियुग की समाप्ति के सभी लक्षण दिखने लगे हैं। इनमें से कुछ ही लक्षणों के प्रमाण मिलने शेष हैं, अधिकांशतः लक्षण दिख रहे हैं अतः हम कह सकते हैं कि कलियुग पूर्ण रूप से समाप्त हो चुका है और वर्तमान समय संगमयुग या युगसंध्या का समय है।
“जय जगन्नाथ”